मेरे बाबा मुझे ब्याहना चाहते हो
खुद से दूर भेजना चाहते हो
अपने आंगन की लाडली को
किसी को सौंप देना चाहते हो
मेरे प्यारे बाबा ऐसा वर ढूंढो
जो मेरा हाथ थामकर चले
सात जन्मों के बंधन नहीं मानती मैं
पर यह जन्म उसका और मेरा साझा हो
मेरे हिस्से की धूप-छांव
साथ खड़े रहकर महसूस करे
पर ऐसे वर से मत मांधना बंधन मेरा
जो किसी के साथ कभी खड़ा ही न हुआ हो
जो अपनी शान और अस्तित्व को
थोपकर मुझे जड़ कर दे
मत देना मेरा हाथ उसके हाथों में
जो मेरी सरलता को ब्याहकर खरीद ले
जो प्रेम का मतलब न जानता हो
उससे प्रीति का संबंध मत लगाना मेरा
कि कुंद कर दे वो मेरे भीतर की स्त्री का हृदय
कठोरता के लबादे से ढंक दे कि मैं उस जैसी ‘सभ्य’ दिखूं
मेरी चंचलता को अपमान कह दे जो
मेरी शरारतें जिसके समाज में असभ्य लगें
मत ब्याहना ऐसे महलों में रहने वाले से
जो आपकी परवरिश का उपहास करे
छोटी-छोटी खुशियां बटोर कर
आंचल मैं फैला दूं तो भर दे जो
चांद-सितारों की चाहत नहीं मुझको
ब्याहना उससे जिसकी आंखों में नींद न आए मेरे रो देने पर
वर वही खोजना बाबा
जो मेरा देवता बनने को दबिश न दे
मेरा आधा हिस्सा बनकर जिए मुझमें
कि उसके या मेरे प्रेम पर ‘हमारा’ हक हो
चली जाऊंगी उससे ब्याह करके
जो मुझे मेरे हिस्से के आकाश को चूमने दे
जो बांट ले मेरे जनम भर की रातें-दिन, सुख-दुख
मेरे जीवन के शब्दकोश से मिटा दे अकेलापन
बाबा ऐसा वर ढूंढो।