बहुत सन्दर
ji sir shukriya
भावपूर्ण रचना। सादर
धन्यवाद आपको। मेरी प्रस्तुति को नयी पुराणी हलचल पर जगह देने के लिए।सादर।
अच्छी लगी कविता.
धन्यवाद् निहार जी।
Beautiful and heart touching :)
धन्यवाद् व्यास जी।
उलझनों की लहरों कोजीवन के आह्लादों पर,ठोकरें मारने से कहां रोक पाती हूं। ...वाह...बहुत प्रभावी रचना...
आपको बहुत बहुत धन्यवाद्। सादर।
bahut bahut dhnyawad pratibha ji.
बहुत ही उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति
आपको सादर धन्यवाद्
एक बढ़कर एक सुन्दर रचनाये मन खुश हो गया जीकभी फुर्सत मिले तो हमारी देहलीज़ पर भी आये संजय भास्करशब्दों की मुस्कराहट http://sanjaybhaskar.blogspot.in/
सादर आभार आपका।
सुन्दर भावानुभूति!
आभार
बहुत सन्दर
ReplyDeleteji sir shukriya
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद आपको। मेरी प्रस्तुति को नयी पुराणी हलचल पर जगह देने के लिए।
ReplyDeleteसादर।
अच्छी लगी कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद् निहार जी।
DeleteBeautiful and heart touching :)
ReplyDeleteधन्यवाद् व्यास जी।
Deleteउलझनों की लहरों को
ReplyDeleteजीवन के आह्लादों पर,
ठोकरें मारने से
कहां रोक पाती हूं।
...वाह...बहुत प्रभावी रचना...
आपको बहुत बहुत धन्यवाद्।
Deleteसादर।
bahut bahut dhnyawad pratibha ji.
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपको सादर धन्यवाद्
Deleteएक बढ़कर एक सुन्दर रचनाये मन खुश हो गया जी
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो हमारी देहलीज़ पर भी आये
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.in/
Deleteसादर आभार आपका।
सुन्दर भावानुभूति!
ReplyDeleteआभार
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