तुम दूर हो गए तो क्या वो याद नहीं आएंगी!
जब तुमसे कोई जिद करेगा, जब कोई तुम पे मरेगा
हसरत भरी निगाहों से तेरी तरफ देखेगा
याद करना न चाहो भले पर याद मेरी आएगी
जब शाम ढलेगी और चाय बनेगी
कोई प्यार से कॉफ़ी का मग हाथों में थमाएगा
तो बिना चाहे तुम्हें मेरी याद आएगी
जब कोई तुम्हारा ख्याल रखेगा, प्यार करेगा
माथे को चूमकर तुम्हारे चेहरे को सीने से लगा लेगा
तुम कितना भी भुलाओगे मेरी याद आएगी
जब मोज़े खरीदोगे, जब हाथ नहीं धोओगे
कोई तुमको समझाएगा, कोई एकटक निहारेगा
तुम कितना भी मिटाओगे मेरी याद आएगी
तुम जितना दूर जाओगे मेरी याद आएगी
Thursday, 28 December 2017
Thursday, 7 December 2017
मेरा वादा है... हम फिर मिलेंगे
अचानक एक साथ विश्व के सारे शब्द शून्य हो गए हैं..
जहां ह्रदय की उम्मीदें गुणा होकर शून्य हुई जा रही हैं
सूरज की मद्धम होती किरणें अगली सुबह तक प्रतीक्षा करेंगी
स्मृतियों के धागे बिछोह की आग में जलकर ख़ाक होने को सज्ज हैं
क्यों हुई थी वो तत्परता, जिसने नदी के आवेग को भी मात दे दी
वैराग्य को पीछे छोड़कर भी फिर से आराधना को चुना ही क्यों?
क्या सचमुच धरती और आसमान नहीं मिलते
क्या उस दूर क्षितिज के पास भी नहीं?
क्या पुनर्जन्म तक का इंतज़ार करना होगा
क्या निष्ठुर नियति न्याय करेगी उर्वशी-पुरूरवा का?
ये सन्नाटे तुम्हारे पदचाप के दूर होने का प्रमाण देते हैं
शायद तुमने राह बदल दी...
पर मेरा वादा है... हम फिर मिलेंगे
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