दर्द-ए-दिल हर सुबह हर शाम दे गया
वो चंद मुलाकातों में अपना नाम दे गया
हम तो थे बेफिकर मौजों में थी नजर
मुस्कुराकर मुहब्बत का इंतकाम ले गया
कल तक हो जो भी चाहत अब वो ही रह गया
मेरी हसरतों को इश्क का गुलाम कर गया
बसने लगा है आज धड़कनों की जगह वो
जीने की वजह मुझको वो तमाम दे गया
सुंदर रचना व बेहतरीन लेखन , स्मिता जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
धन्यवाद आशीष जी,
Deleteसादर
बहुत खूब स्मिता जी
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यश जी, काफी समय बाद फुर्सत मिली है हमे भी तो कुछ पंक्तिया लिख दी
Deleteदर्द-ए-दिल हर सुबह हर शाम दे गया
ReplyDeleteवो चंद मुलाकातों में अपना नाम दे गया
वाह... बहुत बढ़िया
धन्यवाह अनुषा
Deleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : दीर्घजीवन और पालतू जानवर
धन्यवाद् राजीव जी।
Deleteकल 07/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभारी हु यश जी
Deleteरचना सुन्दर है |बधाई |
ReplyDeletebahut sundae rachna
ReplyDeletethank u so much abhishek ji
Deleteबहुत अच्छी रचना, स्मिता जी। बधाई।
ReplyDeleteआभारी हु
Deleteस्मिता जी
ReplyDeleteआज पहली बार आप की कवितायें पढ़ रही हूँ, दिल को छूतीं कवितायें।
आप के ब्लॉग पर आना इस लिए हुआ कि मेरे पास आप का ई मेल आई डी नहीं है, इसी लिए यहां संदेश लिख रही हूँ।
कुछ दिन पहले(7 जुलाई को ) आप ने मेरे लिए एक प्रश्नावली भरी थी ब्लॉगर्स और नॉनब्लागर्स से संबधित जो मैं ने अपनी शोध कार्य हेतु बनायी है। मैं बहुत आभारी हूँ आप की कि आप ने उसे भरने के लिए मेरे लिए समय निकाला। लेकिन स्मिता जी वो प्रश्नावली अधूरी भरी हुई है इस लिए मैं उसका उपयोग नहीं कर पा रही और आप जैसी संवेदनशील और जहीन ब्लॉगर की प्रतिक्रिया जानना मेरे लिए बहुत मायने रखता है । मेरी आप से विनती है कि आप एक बार उसे फ़िर से भर दें और अंतिम प्रश्न तक सब प्रश्नों का उत्तर दें, अति कृपा होगी। मैं उस प्रश्नावली का लिंक यहां एक बार फ़िर से दे रही हूँ आशा है आप निराश नहीं करेगीं।
https://www.surveymonkey.com/s/FPMH5CS
धन्यवाद
सादर
अनीता कुमार
maine apka survey complete kar dia hai madam...
Deleteस्नेह में सींची हुई सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआभारी हु
Deleteआभार,,, हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण शायराना रचना
ReplyDeleteस्वयं शून्य
आभारी हु
Deleteबसने लगा है आज धड़कनों की जगह वो
ReplyDeleteजीने की वजह मुझको वो तमाम दे गया ..
वाह ... भावपूर्ण और प्रेम के एहसास से सरोबर है ये रचना ...
बहुत धन्यवाद
Delete.शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteउनकी ख्वाहिश थी उन्हें माँ कहने वाले ढेर सारे होते
http://sanjaybhaskar.blogspot.in/2014/09/blog-post_28.html
ji bilkul aayege
Deleteबसने लगा है आज धड़कनों की जगह वो
ReplyDeleteजीने की वजह मुझको वो तमाम दे गया
बेहद दिलकश,,,
ग़ज़ल का हर शेर बेहतरीन।
ReplyDeleterajeshkavya.blogspot.com पर आप का स्वागत है।
धन्यवाद
Deleteअच्छा है शब्दों का चयन , कविता अच्छी लगी
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