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Friday, 24 February 2017

वक़्त



वक़्त, जो किसी के लिए नहीं रुकता
बस हौसलों का मोहताज होता है, 
ताकि वो बन-बिगड़ सके कोशिशों के दरम्यान 
और करवट ले सके ज़िन्दगी 

उम्र के तमाम पथरीले रास्ते वक़्त ने भी तय किए हैं 
वक़्त बदलते देर नहीं लगती, 
ठोकरों पर रुककर वो पीछे नहीं देखता 
बस आगे बढ़ जाता है 

हम वक़्त को लहूलुहान करते हैं अपनी हर गलती से 
उम्र के तमाम साल बस सोचने में रह जाते हैं 
आज वक़्त बर्बाद करने वालों को याद रखना होगा,
वो माफ़ नहीं करता, कल तुम्हें बर्बाद कर देगा 

5 comments:

  1. वक़्त की अपनी नाजों-अदा है. ये निर्मम भी है नाजुक भी. कितने करीने से सजाना पड़ता है इस बेरहम वक़्त को. जो इसकी क़द्र नहीं करता, वक़्त भी उसकी परवाह नहीं करता. गहन चिंतन में डूबी पोस्ट.

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  2. वक्त से बढ़कर कोई नहीं . बहुत सुन्दर रचना
    और लो ये वक्त है जन्मदिन मनाने का
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

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