www.hamarivani.com

Saturday 14 June 2014

पापा आपके लिए




मेरे जीवन ग्रंथ, मेरे कर्मयोगी पिता
आपके लिए आज का एक दिन तो क्या
जीवन भर जश्न मनाऊं तो कम है
कि आपके रूप में ईश्वर का हाथ मेरे सिर पर है

आप वेदों की पवित्रता हो मेरे लिए
जिसमें सजी हैं मेरे पुरखों की परिचय ऋचाएं
आपकी आंखों में साक्षात वह ब्रह्म है
जो पीड़ाओं का पहाड़ ढोकर भी उफ नहीं करता

आप मेरे साथ हैं तो तीनों लोक, चौहदों भुवन मेरे हैं
आप हंसते हैं तो जीवन में मुस्कुराहट बिखर जाती है
आपकी मौजूदगी है तो सुंदर हेमंत और बसंत क्या
चारों दिशाएं, आठो ऋतुएं मेरी बाहों में होती हैं

आप नाराज हो जाएं तो ऐसा लगता है
जीवन के आकाश पर बिजली कड़क उठी हो
अस्तित्व की बुनियाद कमजोर लगने लगती है
आपके टूटने से मेरी उम्मीदें जैसे परास्त होने लगती हैं

आपकी उंगली उस सहारे की तरह है पापा
जिसके दम पर मेरा जीवन सार्थक होता है
सचमुच पिता जीवन के हर लम्हे में शामिल हैं आप
और मां तुम उस हर लम्हे की सुंदर साक्षी हो।





25 comments:

  1. दिल को छू गयी रचना। लग रहा है जैसे मेरे मन की ही बात कह दी।

    सादर

    ReplyDelete
    Replies

    1. सादर आभार आपका।

      Delete
  2. पिता को देव तुल्य स्थान दिया जीवन में
    स्वर्गिक रसपान किया जीवन में .......... स्मिता अच्छी रचना ....बधाई

    ReplyDelete
  3. हृदयस्पर्शी..... बहुत अच्छी कविता है

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आपका।

      Delete
  4. जज्बातों को क्या खूब लफ्जों में पिरोया है

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद् अनुषा।

      Delete
  5. सचमुच पिता जीवन के हर लम्हे में शामिल हैं आप
    और मां तुम उस हर लम्हे की सुंदर साक्षी हो।
    ...बहुत खूबसूरत भाव लिए प्यारी रचना सुन्दर शब्द बांध ..हमारे जीवन में पिता की अहम भूमिका होती है ..
    पिता श्री को नमन

    ReplyDelete
  6. पिता को समर्पित भावपूर्ण कविता.  पितृ दिवस पर इससे अच्छी भेंट और क्या हो सकती है. पिता का त्याग और प्यार, माँ की तरह ही महत्वपूर्ण होता है.

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद।

      Delete
  8. बहुत सार्थक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...शुभकामनायें!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आपका।

      Delete
  9. दिल को छूती हुयी रचना ... पिता के प्रति आपके उदगार मन में उतर जाते हैं ...

    ReplyDelete
  10. हृदयस्पर्शी...स्मिता जी . कविता में रचे ये शब्द काश हम जान मानस अपने जेहन में भर लें तो आनंद और आये
    प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच में आप आईं ख़ुशी हुयी
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आपका।

      Delete
  11. माँ-बाप की असली दौलत बच्चे ही होते हैं.
    पिता को समर्पित बहुत प्यारी दिल से लिखी रचना बहुत अच्छी लगी

    ReplyDelete
    Replies
    1. सच कहा आपने । माता पिता की असली दौलत बच्चे ही हैं। और बच्चे के लिए बगी अनमोल है माँ बाप। ईश्वर उनहे लम्बी उम्र दे।
      आभार आपका

      Delete
  12. सच है! बहुत बढ़िया!

    ReplyDelete