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Monday 2 June 2014

मेरे पिता



मां अतुल्य है जीवन की साक्षी है 
लेकिन पिता बिना मां की परिभाषा कहां बन पाती
मां छांव तो पिता वो बरगद का पेड़ हैं
जिसकी छत्रछाया में मां हमें पालती है

मेरे पिता, बचपन में आपकी फटकार के संग
मैंने आपका दिल धड़कते महसूस किया है
पर मां की डांट के बाद आपका प्यार
मन के कोनों में प्रकाश भरता रहा है

आप हैंं तो जीवन सुंदरतम है
आपके होने से ही आंखों में इतने रंग हैं
आपका होना ही मेरा खुद पर विश्वास है
मेरे जीवन के कल्पतरु हैं आप पिता

जीवन के तमाम विषाद पीकर
हर दर्द को अपने सीने में समेटकर 
आपने दी हर मुश्किल को चुनौती
कि आज मेरी सफलताएं आपसे ही हैं

मेरी उपलब्धियों पर मुस्कुराते आप 
मेरी विफलताओं पर अब कुछ नहीं कहते
नहीं, इतना बड़ा तो नहीं होना था मुझे
आप ही मेरे नायक हो, कुछ सवाल तो किया करो

आपका कुनबा बढ़ रहा है लेकिन
इस वटवृक्ष की जड़ें आप ही हो
कि आपकी गोद में सिर रखकर
अब भी वक्त बिताना अच्छा लगता है,

जी चाहता है तोड़ दूं दीवार घड़ी की सुइयां
कि आप बूढ़े नहीं हो सकते कभी
आपकी निरंतरता मेरी रगों में है
मैं दुनिया में आपका ही प्रतिरूप हूं,

आपके होने से ही मैं हूं पिता
आपका कभी न होना कल्पना से भी परे है
इन आंखों में सपने भरने वाले पिता
मैंने आपके बिना दुनिया सोची नहीं अब तक

मेरे मन के जीवट योद्धा
जागो कि तुम ढले नहीं, बस थक गए हो 
मैं हूं तुम्हारी आत्मशक्ति देखो मुझे
तुम्हारी आत्मा का अंश हूं, मुझमें जवान होते पिता




25 comments:

  1. ब्लॉग जगत मे आपका स्वागत है।
    बेहतरीन पोस्ट।


    सादर

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  2. जी धन्यवाद् आपका।। अवश्य जोड़ लेगे फॉलो का विकल्प।

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  3. स्मिता बहुत सुंदर भावपूर्ण पंक्तियाँ ..... यशवंत जी ने जब ये पोस्ट मुझसे शेयर की .... तभी से ....यानी सुबह से खोल रखी थी परन्तु पूर्ण रुपें पढ़ अभी पाई हूँ ..... पिता के लिए भाव अच्छे हैं ...मुझमें जवान होते पिता ......वटवृक्ष की जड़ें ......सुंदर उपमाएं ...बधाई .....धन्यवाद @यशवंत जी

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    1. आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद मैम .....जब भी मेरे सामने कोई नया ब्लॉग आता है तो मेरी कोशिश उसे और लोगों तक पहुंचाने की होती है....आपने यह ब्लॉग देखा ....मेरी कोशिश सफल हुई।

      सादर

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  4. आप दोनों का मेरा सादर धन्यवाद्। मेरी अन्य रचनाये भी अवश्य पढ़ें इस ब्लॉग की। हाल ही में ब्लॉग पर सक्रिय हुई हु। आपके सहयोग की आकांक्षी रहूंगी।
    सादर

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    1. आपकी अन्य रचनाएँ भी ज़रूर पढ़ूँगा।
      ब्लॉग पर आपकी सक्रियता जारी रहे।

      ---
      कल 11/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
      धन्यवाद !

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  5. आपका आभार। मेरी रचना को नयी पुराणी हलचल पर जगह देने के लिए। आगे भी ब्लॉग पर सक्रियता बनी रहेगी।
    सादर।

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  6. बहुत भावपूर्ण और दिल को छूती अभिव्यक्ति....

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  7. आभार आपका।
    सादर।

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  8. शुभ प्रभात
    एक अच्छी रचना से शुरुवात
    स्वागतम्

    चरैवेति चरैवेति

    सादर

    सादर

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  9. बहुत सुन्दर लिखा है आपने |कविता बहुत अच्छी है |

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  10. बहुत भावपूर्ण समर्पण है एक सनातन बेटी का एक सनातन पिता के प्रति ! बहुत सुंदर रचना ! हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !

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    1. आपको बहुत धन्यवाद्। मेरी रचना को पढने व सराहने के लिए।
      सादर।

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  11. दिल को छू गई आपकी कविता...बहुत सुंदर।

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  12. सादर धन्यवाद् आपको पारुल जी।

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  13. एकदम सटीक चित्र खींचा है सार्थक शब्द लिए हैं.

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  14. धन्यवाद आपका संजय जी

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  15. Replies
    1. सादर आभार प्रभात जी

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  16. पिता को समर्पित इस रचना को पढ़कर एक बेटी के प्यार को शिद्दत से महसूस कर रही हूँ
    बहुत सुन्दर

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    1. सादर आभार आपका

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  17. विनम्र आभार

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  18. बहुत ही उम्दा ! अच्छा लगा देखकर.... माँ पर तो सभी लिखते हैं. पर पिता की अहमियत भी कम नही होती ! बधाई ! :)

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    1. सत्य कहा आपने प्रीती जी. पिता की भी जीवन में अद्भुत और अनिवार्य अहमियत है
      प्रतिक्रिया के लिए आभार

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