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Tuesday, 27 May 2014

बाबा ऐसा वर ढूंढो



मेरे बाबा मुझे ब्याहना चाहते हो
खुद से दूर भेजना चाहते हो
अपने आंगन की लाडली को 
किसी को सौंप देना चाहते हो

मेरे प्यारे बाबा ऐसा वर ढूंढो 
जो मेरा हाथ थामकर चले
सात जन्मों के बंधन नहीं मानती मैं
पर यह जन्म उसका और मेरा साझा हो

मेरे हिस्से की धूप-छांव
साथ खड़े रहकर महसूस करे
पर ऐसे वर से मत मांधना बंधन मेरा
जो किसी के साथ कभी खड़ा ही न हुआ हो

जो अपनी शान और अस्तित्व को
थोपकर मुझे जड़ कर दे
मत देना मेरा हाथ उसके हाथों में 
जो मेरी सरलता को ब्याहकर खरीद ले

जो प्रेम का मतलब न जानता हो
उससे प्रीति का संबंध मत लगाना मेरा
कि कुंद कर दे वो मेरे भीतर की स्त्री का हृदय
कठोरता के लबादे से ढंक दे  कि मैं उस जैसी ‘सभ्य’ दिखूं

मेरी चंचलता को अपमान कह दे जो
मेरी शरारतें जिसके समाज में असभ्य लगें
मत ब्याहना ऐसे महलों में रहने वाले से
जो आपकी परवरिश का उपहास करे

छोटी-छोटी खुशियां बटोर कर
आंचल मैं फैला दूं तो भर दे जो
चांद-सितारों की चाहत नहीं मुझको
ब्याहना उससे जिसकी आंखों में नींद न आए मेरे रो देने पर

वर वही खोजना बाबा
जो मेरा देवता बनने को दबिश न दे
मेरा आधा हिस्सा बनकर जिए मुझमें
कि उसके या मेरे प्रेम पर ‘हमारा’ हक हो

चली जाऊंगी उससे ब्याह करके
जो मुझे मेरे हिस्से के आकाश को चूमने दे
जो बांट ले मेरे जनम भर की रातें-दिन, सुख-दुख
मेरे जीवन के शब्दकोश से मिटा दे अकेलापन
बाबा ऐसा वर ढूंढो।



31 comments:

  1. no words.......
    tune mujhe janam diya... phir tera ghar kyu begana hai-papa

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  2. धन्यवाद् राधिका।।

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  3. वाह स्मिता.. बहुत खूब बधाई

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  4. धन्यवाद गुरुदेव। दूसरी रचनाये भी जरुर पढ़े आप इस ब्लॉग की।

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  5. पढ़ लिया है बालिके.. लिखते रहो.. शुभकामनाएं.. बहुत-बहुत..

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  6. मेरी चंचलता को अपमान कह दे जो
    मेरी शरारतें जिसके समाज में असभ्य लगें
    मत ब्याहना ऐसे महलों में रहने वाले से
    जो आपकी परवरिश का उपहास करे

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  7. बहुत सुन्दर, स्मिता यह लेखनी तो मुझे पता ही नहीं थी ।

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  8. सत्य बयाँ करती रचना |
    चली जाऊंगी उससे ब्याह करके
    जो मुझे मेरे हिस्से के आकाश को चूमने दे
    जो बांट ले मेरे जनम भर की रातें-दिन, सुख-दुख
    मेरे जीवन के शब्दकोश से मिटा दे अकेलापन
    बाबा ऐसा वर ढूंढो।
    सुन्दर पंक्तिया न

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  9. सादर धन्यवाद् आपका।यशोदा जी।

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  10. बहुत आभार आपका आशा सक्सेना जी।
    सादर।

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  11. वर वही खोजना बाबा
    जो मेरा देवता बनने को दबिश न दे
    मेरा आधा हिस्सा बनकर जिए मुझमें
    कि उसके या मेरे प्रेम पर ‘हमारा’ हक हो
    ....बहुत सुन्दर...हर बेटी की यह इच्छा पूरी हो...

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  12. खूबसूरत.. बाबा ऐसा वर ढूंढ भी निकालेगे :)

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    1. धन्यवाद् आपका सादर।

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  13. सचमुच बहुत सुंदर रचना। बधाई।

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    1. सादर धन्यवाद आपको स्वप्निल जी।

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  14. सच्चाई को शब्दों में बांध दिया है आपने

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    1. शुक्रिया संजय जी

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  15. तमन्ना जल्द ही पूरी होगी।

    सादर

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  16. कल 06/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  17. Bhawnayein udel di hain aapne smita...har ladki aisa hi chahti hai Jo aapne likha hai...aisa hi lekh aage bhi padhne ko mile asha karte hain .....shubhkamnayein

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    1. saadar aabhar. puri koshish krungi ki aage bhi aisa kuch likhti rahu,...vyast rahne ke karan lekhan kam kar pati hu.

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  18. बहुत खूब स्मिता
    जल्द ही मिल जाएगा ऐसा वर

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  19. चांद-सितारों की चाहत नहीं मुझको
    ब्याहना उससे जिसकी आंखों में नींद न आए मेरे रो देने पर
    चली जाऊंगी उससे ब्याह करके
    जो मुझे मेरे हिस्से के आकाश को चूमने दे
    जो बांट ले मेरे जनम भर की रातें-दिन, सुख-दुख
    मेरे जीवन के शब्दकोश से मिटा दे अकेलापन

    बहुत खूब स्मिता जी! आपकी रचना पढ़ते- पढ़ते आखें भर आई ! हर नारी का यही तो सपना होता है
    की उसे सच्चा प्यार करनेवाला पति मिले .

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    1. आभार आपका सादर ज्योति जी।

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