वो बचपन का जमाना था
जो दुनिया से बेगाना था
जहां गुड़िया की शादी थी
जहां गुड्डे का गाना था
कभी अंताक्षरी के दिन
कभी चौपाल सजती थी
गुलाबी दिन हुआ करते
गुलाबी रात लगती थी
जेबों में कुछ आने थे
मगर मेले सुहाने थे
वो बाइस्कोप अच्छे थे
डंडा गिल्ली पे ताने थे
चवन्नी की बरफ मिलती
अठन्नी की मिठाई थी
वो खुशियों से भरे दिन थे
भले ही कम कमाई थी
ऊदल की वो गाथा थी
जो दादी तब सुनाती थीं
आल्हा के पराक्रम के
नानी गीत गाती थीं
एक टांग के सब खेल
महंगे खेलों से अच्छे थे
इस आलीशान यौवन से
वो बेफिकर दिन ही अच्छे थे
वो दोहे, गीत वो सारे
जो हम बचपन में गाते थे
वो बातें, मस्तियां सारी
जहां गम भूल जाते थे
कोई वापस दिला दे आज
जो बचपन के जमाने थे
जहां हर पल में जादू था
जब हम सब दीवाने थे
बचपन सिर्फ यादों मे है।
ReplyDeleteसच मे बहुत याद आते हैं वो बचपन के दिन।
सादर
सचमुच वो यादें ही रह गई है शेष
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभार
bahut sundar bachpan bahut pyara hota hai
DeleteThank u so much
Deleteबढ़िया सुंदर रचना व लेखन , आ. स्मिता जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभार
zamaane yaad dila diye aapne bachpan ke... bahut badhiyaan
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाकई बचपन के दिन सुहाने थे
सचमुच
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभार
बहुत खूब। वाह।
ReplyDeleteधन्यवाद् राहुल जी।
Deleteसच.....बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@मुकेश के जन्मदिन पर.
धन्यवाद्।
Deleteसादर
वाह, अच्छी कविता
ReplyDeleteधन्यवाद् सर
Deleteहम सब यही चाहते हैं , मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteजी हम सब यही चाहते है।
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभार
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
ReplyDeleteतारीफ के लिए शुक्रिया संजय जी।
Deleteसादर
विनम्र आभार यश जी
ReplyDeleteखूबसूरत...बेहद खूबसूरत!!!!
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद अभिषेक जी.
Deleteकोई वापस दिला दे आज
ReplyDeleteजो बचपन के जमाने थे
जहां हर पल में जादू था
जब हम सब दीवाने थे.............वाह !! सजीव चित्रण , बहुत उम्दा
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद अमित जी
Deleteसादर आभार जोशी जी
ReplyDeleteबचपन की यादें ताज़ा कर दीं...बहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए सादर आभार
Deleteबचपन आँख झपकते ही फुर्र हो ताजा है ... इसलिए ही उसकी यादें रह जाती हैं हमेशा ताज़ा जैसे कल की ही बात हो ...
ReplyDeleteसचमुच
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभार
कोई वापस दिला दे आज
ReplyDeleteजो बचपन के जमाने थे
जहां हर पल में जादू था
जब हम सब दीवाने थे
.. अब न वो खेल रहे न खेलने वाले ही दीखते हैं .. एक हूक सी उठती है मन में बचपन के खेल देखने फिर से खेलने के लिए ...
बहुत ही सुन्दर
विनम्र आभार
Deleteवो मस्तियाँ, वो शरारतें... बचपन की बातें, बचपन की यादें
ReplyDeleteख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई
प्रतिक्रिया के लिए आभार
Deleteबचपन तो उम्र पच्पन हो जाये फिर भी याद रहती है।
ReplyDeleteएक यही उम्र ऐसा है, जिसमें इंसान इंसान बना रहता है। बहुत सुन्दर रचना आपकी इस उम्र के संदर्भ में।
प्रतिक्रिया के लिए आभार
Deleteस्मिता जी बूंद-बूंद बदमाशीयों से भरी कितनी सुंदर यादें।
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति।
नई रचना : इंसान
प्रतिक्रिया के लिए आपकी आभारी हू राहुल जी
Deleteबचपन में तो अरुण, जाहिद और सलिल ईसाई,
ReplyDeleteसाथ खेला करते थे, सतौलिया और चोर सिपाही,
ये जो समझदारी हमने ओढ़ रखी है,
ये समझदारी है या,
समझदारी ने बना दिया है,
इंसान को उल्लू ,
http://jameenpar.blogspot.in/2013/08/blog-post_7.html
आपकी कविता बालमन से ओतप्रोत है..अतिसुन्दर...
बचपन, तुम तो ज़रा भी नहीं बदले,
अभी भी उतने ही उल्लसित और आनंदित हो,
जितने तब थे, जब में तुम्हारे अन्दर था या,
तुम मेरे अन्दर थे,
प्रतिक्रिया के लिए आपकी आभारी हू
Deleteखिलौनों की बारात
ReplyDeleteगुड़ियों की शादी
तेरा शहजादा
मेरी शहजादी
तुम्हें याद हो या न हो याद लेकिन
मुझे याद आते हैं बचपन के वो दिन
खिलौनों की बारात
ReplyDeleteगुड़ियों की शादी
तेरा शहजादा
मेरी शहजादी
तुम्हें याद हो या न हो याद लेकिन
मुझे याद आते हैं बचपन के वो दिन
वाह। क्या बात है झा साहब। बहुत बढ़िया
Deleteआभारी हु
आह !!
ReplyDeleteजब हम सब दीवाने थे! मंगलकामनाएं आपको !
प्रतिक्रिया के लिए आपकी आभारी हू
Deleteमन को छूती अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह !!! बहुत सुन्दर रचना ----
बधाई--
सादर आभार आपका
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवो बचपन के दिन भी नायाब होते हैं
ReplyDeleteजब मां की गोद में सिर रखकर होते हैं,,,
नायाब रचना स्मिता,,,
क्या बात है। बहुत खूब अरमान जी।
Deleteप्रतिक्रिया के लिए आभारी हु
सुन्दर।
ReplyDeleteधन्यवाद्
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